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Class 12th Political Science Ncert Solutions in Hindi | CBSE | राजनीति शास्त्र

 




एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 राजनीति विज्ञान


समकालीन विश्व राजनीति ( Part 1 :- Contemporary World Politics )



स्वतंत्र भारत में राजनीति ( Part 2 :- Politics In India Since Independence )


Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics NCERT Solutions

 


Chapter 9. भारतीय राजनीति : नए बदलाव

अभयास

Q1. उन्नी-मुन्नी ने अख़बार की कुछ कतरनों को बिखेर दिया है | इन्हे कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित करें :

(क) मंडल आयोग की सिफारिश और आरक्षण विरोधी हंगामा 

(ख) जनता दल का गठन 

(ग) बाबरी मस्जिद का विध्वंस 

(घ) इंदिरा गाँधी की हत्या 

(ड.) राजग सरकार का गठन 

(च) संप्रग सरकार का गठन 

(छ) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम 

उत्तर :

(क) इंदिरा गांधी की हत्या                               (सन 1984)

(ख) जनता दल का गठन                                (सन 1988)

(ग) मंडल आयोग की सिफारिशें और आरक्षण विरोधी हंगामा    (सन 1990)

(घ) बाबरी मस्जित का विध्वंस                            (सन 1992)

(ङ) राजग सरकार का गठन                              (सन 1999)

Q2. निम्नलिखित में मेल करें :

(क) सर्वानुमति की राजनीति (i) शाहबानो मामला 
(ख) जाति आधारित दल (ii) अन्य पिछड़े वर्ग का उभार 
(ग) पर्सनल लाँ और लैगिन न्याय (iii) गठबंधन सरकार 
(घ) क्षेत्रीय पार्टियों की बढ़ती ताकता 

(iv) आर्थिक नीतियों पर सहम

उत्तर :

(क) सर्वानुमति की राजनीति            4. आर्थिक नीतियों पर सहम 

(ख) जाति आधारित दल               2. अन्य पिछड़े वर्ग का आधार 

(ग) पर्सनल लॉ और लैगिन न्याय       1. शाहबानो मामला 

(ख) क्षेत्रीय पार्टियों की बढ़ती ताकत     3. गठबंधन सरकार 

Q3.1989 के बाद की अवधि में भारतीय राजनीति के मुख्य मुदे क्या रहे है ? इन मुदों से राजनीतिक दलों के आपसी जुड़ाव के क्या रूप सामने आए हैं ?

उत्तर :

1989 के बाद भारतीय राजनीति में जो मुद्दे उभरे, उनमे कांग्रेस का कमजोर होना, मंडल आयोग की सिफारिशें एवं आन्दोलन, आर्थिक सुधारो को लागू करना, राजीव गांधी की हत्या तथा अयोध्या मामला प्रमुख है | इन सभी मुद्दों ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा प्रदान की तथा भारत में गठ्बंधन्वादी सरकारों का युग शुरू हुआ जो वर्तमान समय में भी जारी है | 1989 में वी.पी. की सरकार को आश्चर्यजनक ढंग से वाममोर्चा एवं भारतीय जनता पार्टी दोनों ने ही समर्थन दिया | इसी तरह आगे चलकर अपने रजनीतिक हितो की पूर्ति के लिए कई ऐसे दलों ने आपस में समझौता किया, जोकि परस्पर कट्टर विरोधी थे | उदहारण के लिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी एवं बहुजन समाज पार्टी का समझौता, भारतीय जनता पार्टी एवं डी.एम.के. पार्टी का समझौता इत्यादि | ये सभी समझौते 1989 के बाद उभरी गठबंधन सरकारों के कारण ही हुई |

Q4. गठबंधन की राजनीति के इस नए दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठजोड़ नही करते हैं | इस कथन के पक्ष या विपक्ष में आप कौन-से तर्क देंगे |

उत्तर :

भारतीय राजनीति का वर्तमान दौर गठबंधन राजनीति का दौर है | वर्तमान समय में कोई भी रजनीतिक दल अपने दम पर सरकार नहीं बना सकता | अतः वह अन्य दलों से गठबंधन करता है | इस गठबंधन का कोई वैचारिक या नैतिक आधार नही होता, बल्कि सत्ता प्राप्ति होता है | इस प्रकार के गठबंधन की शुरुआत 1989 के पश्चात शुरू हुई | 

   1989 के चुनाव के अवसर पर जनता दल ने मार्क्सवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया | 

Q5. आपातकाल के बाद के दौर में भाजपा एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी | इस दौर में इस पार्टी के विकास -कर्म का उल्लेख करें |

उत्तर :

आपातकाल के बाद निस्संदेह भाजपा एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी | सन 1980 में अपनी स्थापना के बाद भाजपा भारतीय राजनीति में सदैव आगे बढ़ती रही | 1989 के नौवीं लोकसभा चुनाव में इसे 88 सीटें प्राप्त हुई तथा इसके समर्थन से जनता दल की सरकार बनी | 1996 में हुए 11वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई तथा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व के केन्द्र में पहली बार सरकार का निर्माण किया | 1998 में हुए 12वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने सर्वाधिक 181 सीटें जीतकर पुनः वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई | 1999 में हुए 13वीं लोकसभा के चुनाव भाजपा ने राजग के घटक के रूप में लड़ा तथा इस गठबंधन में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया | अतः एक बार फिर वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने राजग के घटक के रूप में लड़ा तथा इस गठबंधन ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया अतः एक बार फिर वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई | इस पार्टी ने अप्रैल- मई 2004 में हुए 14वे लोकसभा चुनाव में 138 एवं अप्रैल-मई, 2009 में हुए 15वीं लोकसभा चुनाव में 116 सीटें जीतकर, दोनों बार लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी | अप्रैल-मई 2014 में हुए 16वीं लोकसभा चुनावों में तो भारतीय जनता पार्टी ने अकेले ही 282 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया तथा श्री नरेंद मोदी के नेतृत्व में सरकार का निर्माण किया | केन्द्र के अतिरिक्त भाजपा ने समय-समय पर उत्तर प्रदेश , गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, दिल्ली, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गोवा तथा हरियाणा में अपने दम पर सरकारे बनाई तथा पंजाब महाराष्ट्र तथा ओडिशा जैसे राज्यों में गठबंधन सरकार का निर्माण किया |

Q6.कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया है | इसके बावजूद देश की राजनीति पर कांग्रेस का असर लगातार कायम है | क्या आप इस बात से सहमत हैं ? अपने उतर के पक्ष में तर्क दीजिए |

उत्तर :

देश की राजनीति पर से,यद्दपि कांग्रेश का प्रभुत्व समाप्त हो गया है, परन्तु अभी कांग्रेस का असर कायम है | क्योंकि अब भी भारतीय राजनीती कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूम रही है तथा सभी रजनीतिक दल अपनी नीतियाँ एवं योजनाएं कांग्रेस को ध्यान में रख कर बनाते है | 2009 के 15वीं लोकसभा के चुनावों में इसने अन्य दलों के सहयोग से केन्द्र माँ सरकार बनाई | इसके साथ-साथ जुलाई, 2007 तथा 2012 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में भी इस दल की महत्वपूर्ण भूमिका रही | हालांकि 2014 में हुए 16वीं लोकसभा के चुनावों में इस दल को केवल 44 सीटें ही मिल पाई | अतः कहा जा सकता है की कमजोर होने के बावजूद भी कांग्रेस का असर भारतीय राजनीति में कायम है |

Q7. अनेक लोग सोचते हैं कि सफल लोकतंत्र के लिए दलीय व्यवस्था जरूरी है |पिछले बीस सालो के भरतीय अनुभवों को आधार बनाकर एक लेख लिखिए और इसमे बताए कि भारत की मौजूदा बहुदलीय व्यवस्था के क्या फायदे हैं |

उत्तर : 

भारत में बहुदलीय प्रणाली है | कई विद्वानों का विचार है कि भारत में बहुदलीय प्रणाली उचित ढंग से कार्य नहीं कर पा रही है तथा यह भारतीय लोकतंत्र के लिए बढ़ा उत्पन्न कर रही है अतः भारत के द्वि- दलीय प्रणाली अपनानी चाहिए | परन्तु पिछले बीस सालों के अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बहुदलीय प्रणाली से भारतीय रजनीतिक व्यवस्था को निम्नलिखित फायदे हुए है -

1. विभिन्न मतों का प्रतिनिधित्व - बहु- दलीय प्रणाली के कारण भारतीय राजनीती में सभी वर्गों तथा हितो को प्रतिनिधित्व मिल जाता हैं | इस प्रणाली से सच्चे लोकतंत्र की स्थापना होती है |

2. मतदाताओं को अधिक स्वतंत्रता - अधिक दलों के कारण मतदाताओं को अपने वोट का प्रयोग कराने के लिए अधिक स्वतंत्रताए होती हैं | मतदाताओं के लिए अपने विचारों से मिलते-जुलते दल को वोट देना आसान हो जाता है |

3. राष्ट्र दो गुटों में नहीं बंटता - बहुदलीय प्रणाली होने के कारण भारत कभी भी दो विरोधी गुटों में विभाजित नहीं हुआ |

4. मंत्रिमंडल की तानाशाही स्थापित नहीं होती - बहुदलीय प्रणाली के कारण भारत में मंत्रिमंडल 

Q8. निम्नलिखित अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उतर दें :

भारत की दलगत राजनीति ने कई चुनौतियों का सामना किया हैं | कांग्रेस -प्रणाली ने अपना खात्मा ही नही किया बल्कि कांग्रेस के जमावड़े के बिखर जाने से आत्म -प्रतिनिधित्व की नयी प्रव्रीती का भी जोर बढ़ा | इससे दलगत व्यवस्था और विभिन्न हितों की समाई करने की इसकी क्षमता पर भी सवाल उठे | राजव्यवस्था के सामने एक महत्वपूर्ण काम एक ऐसी दलगत व्यवस्था खडी करने अथवा राजनीतिक दलों को गढने की है ,जो कारगर तरीके से विभिन्न हितों को मुखर और एकजुट करें ....

(क) इस अध्याय को पढने के बाद क्या आप दलगत व्यवस्था की चुनौतियों की सूची बना सकते हैं?

(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमे एकजुटता का होना क्यों जरूरी है |

(ग) इस अध्याय में आपने अयोध्या विवाद के बारे में पढ़ा | इस विवाद ने भारत के राजनीतिक दलों की समाहार की क्षमता के आगे क्या चुनौती पेश की ? 

उत्तर :

(क) इस अध्याय में दलगत व्यवस्था की निम्नलिखित चुनौतियां उभर कर सामने आती है - 

1. गठबंधन राजनीति को चलाना 

2. कांग्रेस के कमजोर होने से खाली हुए स्थान को भरना 

3. पिछड़े वर्गों की राजनीति का उभारना 

4. अयोध्या विवाद का उभारना 

5. गैर-सैद्धांतिक रजनीतिक समझौते का होना 

6. गुजरात दंगो सांप्रदायिक दंगे होना |

(ख) विभिन्न हितो का समाहार और उनमे एकजुटता का होना जरुरी हैं, क्योंकि तभी भारत अपनी एकता और अखंडता को बनाये रखकर विकास कर सकता है |

(ग) अयोध्या विवाद ने भारत के रजनीतिक दलों के सामने सांप्रदायिकता की चुनौती पेश की तथा भारत में सांप्रदायिक आधार पर रजनीतिक दलों की राजनीति बढ़ गई |

Chapter 8 Regional Aspirations NCERT Solutions

 


Chapter 8. क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

अभयास

Q1. निम्नलिखित मे मेल करे :  

       अ ब 
क्षेत्रीय आकाङ्क्षाओ की प्राकृति राज्य 
(क) सामाजिक-धार्मिक पहचान के आधार पर राज्य क निर्मान (i) नगालैण्ड् /मिजोरम 
(ख) भाषायी पहचान और केन्द्र के साथ तनाव् (ii) झारखण्ड /छतीसगदः
(ग) क्षत्रीय सन्तुलन के फलस्व्रूप राज्य क निर्मान  (iii) पंजाबी  
(घ) आदिवासी पहचान के आधार पर अलगाववदी माँग  तमिलनाडू
 

 

उत्तर :

(क) सामाजिक-धार्मिक पहचान के आधार पर राज्य का निर्माण   3. पंजाब 

(ख) भाषाई पहचान और केन्द्र के साथ तनाव                 4. तमिलनाडु 

(ग) क्षत्रिय सन्तुलन के फलस्वरूप राज्य का निर्माण           1. नागालैंड 

(घ) आदिवासी पहचान के आधार पर अलगाववादी माँग         2. झारखण्ड/ छतीसगढ़ 

Q2. पूव्रोतर् के लोगोन की क्षेत्रीय आकक्षाओ की आभिव्यक्ति कई रूपों में होता है | बाहरी लोगों के

खिलाफ आन्दोलन , ज्यादा स्वायत्तता की मांग के आन्दोलन और अलग देश बनाने देश बनाने की माँग

करना -एसी ही कुछ अभिव्यक्ति हैं | पूर्वैतर के मानचित्र पर इन तीनों के लिए अलग-अलग रंग भरिए

और दिखाए कि राज्य में कौन-सी प्रवृति ज्यादा प्रबल है |

उत्तर : 

Q3. पंजाब समझौता के मुख्या प्रावधान क्या थे ? क्या ये प्रावधन पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों

के बीच तनाव बढ़ाने के कारण बन सकते हैं ? तर्क सहित उतर दीजिए |

उत्तर : 

1. मारे गए निरपराध व्यक्तियों के लिए मुआवजा :- एक सितम्बर, 1982 के बाद हुई किसी कार्यवाही या आन्दोलन में मारे गए लोगों को अनुग्रह राशि के भुगतान के साथ सम्पति की क्षति के लिए मुआवज़ा दिया जाएगा |

2. सेना में भर्ती :- देश के सभी नागरिको को सेना में भर्ती का अधिकार होगा और चयन के लिए केवल योग्यता ही आधार रहेगा |

3. नवम्बर दंगो की जाँच :- दिल्ली में नवम्बर में हुए दंगो की जाँच कर रहे रंगनाथ मिश्र आयोग का कार्यक्षेत्र बढाकर उसमे बोकारो और कानपुर में हुए उपद्रवों की जाँच को भी शामिल किया जाएगा |

4. सेना से निकाले हुए व्यक्तियों का पुनर्वास :- सेना से निकाले गए व्यक्तियों को पुनर्वास और उन्हें लाभकारी रोजगार दिलाने के प्रयास किए जाएँगे |

5. अखिल भारतीय गुरुद्वारा कानून :- भारत सरकार अखिल भारतीय गुरुद्वारा कानून बनाने पर सहमत हो गई | इसके लिए शिरोमणि अकाली दल और अन्य संबंधियों के साथ सलाह-मुश्वरा और संवैधानिक जरूरतें पूरी करने के बाद विधेयक लागु किया जाएगा |

6. लम्बित मुकदमों का फैसला :- सशस्त्र सेना विशेषाधिकारी कानून को पंजाब में लागू करने वाली अधिसूचना वापस ली जायगी | वर्तमान विशेष न्यायालय केवल विमान अपहरण तथा शासन के खिलाफ युद्द के मामले सुनेगी | शेष मामले सामान्य न्यायालयों को सौंप दिए जाएँगे और यदि आवश्यक हुआ तो इसके बारे में कानून बनाया जाएगा |

7. सीमा- विवाद :- चंडीगढ़ का राजधानी परियोजना क्षेत्र को सुखना ताल पंजाब को दिए जाएँगे | केन्द्र शासित प्रदेश के अन्य पंजाबी क्षेत्र पंजाब को तथा हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को दिए जाएँगे |

Q4. आन्दपुर साहिब प्रस्ताव के विवादास्पद होने के क्या कारण थे ?

उत्तर :

आनन्दपुर साहिब प्रस्ताव के विवादस्पद होने का मुख्य कारण यह था, की इस प्रस्ताव में पंजाब सूबे के लिए अधिक स्वायतता की माँग की गई, जोकि परोक्ष रूप से एक अलग सिख राष्ट्र की माँग को बढ़ावा देती हैं |

Q5. जम्मू-कश्मीर की अंदरुनी विभिन्नताओ की व्याख्या कीजिए और बताई कि इन विभिन्नताओ के

कारण इस राज्य में किस तरह अनेक क्षेत्रीय आकांक्षाओ ने सर उठाया है |

उत्तर :

जम्मू-कश्मीर में अधिकांश रूप में अंदरूनी विभिन्नताएं पाई जाती हैं | जम्मू- कश्मीर राज्य में जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के क्षेत्र शामिल हैं | जम्मू पहाड़ी क्षेत्र है, इसमें हिन्दू, मुस्लिम और सिख अर्थात कई धर्मो एवं भाषाओँ के लोग रहते हैं | कश्मीर में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या अधिक है और यहाँ पर हिन्दू अल्पसंख्यक हैं | जबकि लद्दाख पर्वतीय क्षेत्र है, इसमें बौद्ध, मुस्लिम की आबादी है इतनी विभिन्नताओं के कारण यहां पर कई क्षेत्रीय आकांक्षाएं पैदा होती रहती है | जम्मू-कश्मीर में कई रजनीतिक दल हैं, जो जम्मू कश्मीर के लिए स्वायतता की माँग करते रहते हैं | इसमें नेशनल कांफ्रेंस सबसे महतवपूर्ण दल है | इसके अतिरिक्त कुछ उग्रवादी संगठन भी हैं, जो धर्म के नाम पर जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते हैं |

Q6. कश्मीर की क्षेत्रीय स्वायत्तता के मसले पर विभिन्न पक्ष क्या हैं ? इनमे कौन-सा पक्ष आपको समुचित जान पड़ता है ? अपने उतर के पक्ष में तर्क दीजिए |

उत्तर : 

कश्मीर के क्षेत्रीय स्वायतता के मसले पर मुख्य रूप से दो पक्ष सामने आते हैं | प्रथम पक्ष वह है, जो धारा 370 को समाप्त करना चाहता है, जबकि दूसरा पक्ष वह है, जो इस राज्य को और अधिक स्वायतता देना चाहता है | इन दोनों पक्षों का यदि उचित ढंग से अध्ययन किया जाए तो प्रथम पक्ष अधिक उचित दिखाई पड़ता है | जो लोग धारा 370 को समाप्त कराने के पक्ष में है, उनका तर्क है की इस धारा के कारण यह राज्य भारत के साथ पूरी तरह नहीं मिल पाया है | इसके साथ-साथ जम्मू- कश्मीर को अधिक स्वायतता देने से कई प्रकार की राजनितिक एवं सामाजिक समस्याएं भी पैदा होती है |

Q7. असम आन्दोलन सांस्कृतिक अभिमान और आर्थिक पिछड़ेपन की मिली -जुली अभिव्यक्ति था | व्याख्या कीजिए |

उत्तर :

(1) भारत का उत्तर- पूर्वी क्षेत्र सात राज्यों से मिलकर बनता है | इन सात राज्यों को सात बहनें भी कहकर बुला लिया जाता है | ये सातों राज्य भारत के अन्य राज्यों की तरह अधिक उन्नति कर पाए हैं | इसी कारण यहाँ पर आर्थिक तथा पिछड़ापन पाया जाता हैं | जिसके कारण यहां पर विदेशी ताकतों के समर्थन पर कुछ  अलगाववादी तत्व अशांति फैलाते रहते है |

(2) इन राज्यों की अधिकतर जातियां पिछड़ी हुई हैं | संचार साधनों की कमी है, भाषा की विभिन्नता, यातायात के साधनों की कमी तथा अधिकांश बेरोजगारी पाई जाती है, जिसके कारण यहां के स्थानीय निवासी अलगाववादी गुटों के बहकावे में आ जाते है इन सभी राज्यों में अपने अलग-अलग रजनीतिक दल हैं, जो सत्ता प्राप्ति के लिए संघर्ष करते है |

(3) असम पूर्वोतर भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है असम राज्य में शामिल अलग-अलग धर्मो एवं भाषायी समुदायों ने सांस्कृतिक अभियान और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण असम से अलग होने की माँग की | इसे ही असम आन्दोलन कहा जाता है | आजादी के समय में मणिपुर एवं त्रिपुरा को छोड़कर शेष क्षेत्र असम कहलाता था |

Q8. हर क्षेत्रीय आन्दोलन अलगाववादी माँग की तरफ अग्रसर नही होता |इस अध्याय से उदहारण देकर इस तथ्य की व्याख्या कीजिए |

उत्तर :

1980 के दशक में भारत में क्षेत्रीय आकान्शाएँ एवं संघर्ष भी धीरे-धीरे बढने लगा तथा इस दशक को स्वायतता की मांग के दशक के रूप में भी जाना जाने लगा | स्वायतता की माँग के लिए हिंसक आन्दोलन भी हुए तथा सरकार द्वारा उसे दबाने का प्रयास भी किया गया | इसके कारण कई राज्यों में रजनीतिक एवं चुनावी प्रक्रिया भी अवरुद्द हुई | स्वायतता की माँग करने वाले गुटों के साथ सरकार को समय-समय पर समझौता करना पड़ा | भारत में बहुत अधिक विविधता पाई जाती है, जिसके कारण क्षेत्रीय आकान्शाएँ एवं संघर्ष भी पैदा होते है | सरकार ने इन विविधताओं पर लोकतान्त्रिक दृष्टिकोण अपनाया है | भारत में अलग-अलग क्षेत्रों एवं दृष्टिकोण को प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए अलग-अलग रजनीतिक दल पाए जाते हैं | भारत सरकार भी नीति मिर्माण की प्रक्रिया में क्षेत्रीय मुद्दों एवं समस्याओं को समुचित महत्व देती है, परन्तु फिर भी भारत के तनाव एवं संघर्ष पाया जाता रहा है तथा इस तनाव के दायरे अलग-अलग हैं, जैसे- भाषा, क्षेत्रवाद, पूर्वोतर की समस्याएं, नक्सलवादी गतिविधियाँ, दक्षिण राज्यों का हिंदी के विरुद्द आन्दोलन, पंजाबी भाषी लोगो द्वारा अपने लिए एक अलग राज्य की माँग करना तथा असम एवं मिजोरम की सम्सयाएँ इत्यादि |      यहां पर यहाँ बात उल्लेखनीय है, की यद्दपि भारत के कई क्षेत्रों में काफी समय से कुछ अलगावादी आन्दोलन चल रहें है, परन्तु सभी आन्दोलन अलगाववादी आन्दोलन नहीं होते | अर्थात कुछ क्षेत्रीय आन्दोलन भारत से अलग नहीं होना चाहते, बल्कि अपने लिए अलग राज्य की माँग करते है, जैसे- झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का आन्दोलन, छतीसगढ़ के आदिवासियों द्वारा चलाया गया आन्दोलन तथा तेलंगाना प्रजा समिति द्वारा चलाया गया आन्दोलन इत्यादि |

Q9. भारत के विभिन्न भागो से उठने वाली क्षेत्रीय मांगो से विविधता में एकता के सिदान्तकी अभिव्यक्ति होती है | क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? तर्क दीजिए |

उत्तर :

भारत में विभिन्न जातियों के आगमन के कारण इसकी संस्कृति में सम्मिश्रण पाया जाता है |यहाँ पर भौगोलिक जलवायु, सामाजिक मान्यताओं, धर्म, भाषा, साहित्य कला, रहन-सहन, रीती-रिवाजों, खान-पान, वेश-भूषा आदि में विभिन्नताएं व विविधताएं पाई जाती है किन्तु इन विविधताओं में सहयोग, एकता व सह-अस्तित्व की स्पष्ट झलक प्राप्त होती है | विभिन्न धार्मिक विश्वासों के बावजूद ईश्वर की एकता, धर्म-निरपेक्षता, सहयोग, कर्म, उदारता, करुणा, सत्य पर द्रढ श्रद्धा आदि विचारो पर प्रत्येक भारतीय की समान आस्था है | यद्दपि बढती हुई जनसंख्या, विशाल भू-क्षेत्र, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधताओं के अन्तर ने कई प्रकार के विरोध व टकराव पैदा किए हैं, किन्तु भारतीय सभ्यता की विशिष्टता तथा पहचान उसके परिवर्तन के साथ निरन्तरता, सहयोग व सदभावना में निहित है | सहयोग तथा पारस्परिक भाईचारा व अनेकता में बसी हुई एकता ही भारत की पहचान है |

10. नीचे लिखे अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उतर दें :

हजारिका का एक गीत ...एकता की विजय पर है : पूर्वोतर के सात राज्यों को गीत में एक ही माँ की सात बेटियाँ कहा गया है .... मेघालय अपने रस्ते गई ... अरूणाचल भी अलग हुई और मिजोरम असम के द्वारा पर दूल्हे की तरह दूसरी बेटी से ब्याह रचाने को खड़ा है....इस गीत का अंत असमी लोगों की एकता को बनाए रखने के संकल्प के साथ होता है | और इसमे समकालीन असम में मौजूद छोटी-छोटी कौमों को भी अपने साथ एकजुट रखने की बात कही गई है ..... करबी और मिजिंग भाई -बहन हमारी ही प्रियजन हैं |

(क) लेखक यहाँ किस एकता की बात कह रहा है ?

(ख) पुराने राज्य असम से अलग करके पूर्वोतर के अन्य राज्य क्यों बनाए गए ?

(ग) क्या आपको लगता है कई भारत के सभी क्षेत्रों के उपर एकता की यही बात लागो हो सकती है ? क्यों ?

उत्तर :

(क) लेखक यहाँ पर पूर्वोतर राज्यों की एकता की बात करता है |

(ख) सभी समुदायों की सांस्कृतिक पहचान बनाये रखने के लिए तथा आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए पुराने राज्य असम से अलग करके पूर्वोतर के अन्य राज्य बनाए गए |

(ग) भारत के सभी क्षेत्रो पर एकता की यह बात लागु हो सकती है, क्योंकि भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग धर्मों एवं जातियों के लोग रहते हैं तथा डेस्क की एकता एवं अखंडता के लिए उनमें एकता कायम करना आवश्यक है |

Chapter 7 Rise of Popular Movements NCERT Solutions

 


Chapter 7. जन आन्दोलनों का उदय

अभयास

Q1. चिपको आन्दोलन के बारे में निम्नलिखित में कौन-कौन से कथन गलत है :

(क) यह पेड़ो की कटाई को रोकने के लिए चला एक पर्यावरण आन्दोलन था |

(ख) इस आन्दोलन ने पर्रिस्थितिकी और आर्थिक शोषण के मामले उठाए |

(ग) यह महिलाओ द्वारा शुरू किया शराब-विरोधी आन्दोलन था |

(घ) इस आन्दोलन की माँग थी कि स्थानीय निवासियों का अपने प्राक्रितिक संसाधनो होना चाहिए |

उत्तर : 

(ग) |

Q2. नीचे लिखे कुछ कथन गलत है इनकी पहचान करें और जरूरी सुधार के साथ उन्हें दुरूस्त करके

दोबारा लिखे :

(क) सामाजिक आन्दोलन भारत के लोकतंत्र को हानि पहुँचा रहे है | 

(ख) सामाजिक आंदोलनों की मुख्य ताकत विभिन्न सामाजिक वर्गो के बीच व्याप्त उनका जनाधार है |

(ग) भारत के राजनीतिक दलों ने कई मुदो को नही उठाया | इसी कारण सामाजिक आंदोलनों का उदय हुआ |

उत्तर :

(क) सामाजिक आन्दोलन भारत के लोकतंत्र को बढावा देरहे है |

(ख) यह कथन पूर्ण रूप से सही है |

(ग) यह कथन पूर्ण रूप से सही है |

Q3. उतर प्रदेश के कुछ भागों में (अब उतराखंड)1970 के दशक कारणों से चिपको आन्दोलन का क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर : 

भारत में पर्यावरण से सम्बंधित सर्वप्रथम आन्दोलन चिपको आन्दोलान के रूप में माना जाता है | चिपको आन्दोलन 1972 में हिमालय क्षेत्र में उत्पन्न हुआ | | चिपको आन्दोलन का अर्थ है - पेड़ से चिपक जाना अर्थात पेड़ को आलिंगनबद्ध कर लेना | चिपको आन्दोलन की शुरुआत उस समय हुई जब एक ठेकेदार ने गांव के समीप पड़ने वाले जंगल के पेड़ो को कटने का फैसला किया | लेकिन गाँव वालो ने इसका विरोध किया | परन्तु जब एक दिन गांव के सभी  पुरुष गाँव के बाहर गए हुए थे, तब ठेकेदारों ने पेड़ो को काटने के लिए अपने कर्मचरियों को भेजा | इसकी जानकारी जब गांव की महिलाओं को मिली, तब वह एकत्र होकर जंगल पहुच गई तथा पेड़ो से चिपक गई | इस कारण ठेकेदार के कर्मचारी पेड़ो को न काट सके | इस घटना की जानकारी पुरे देश में समाचार- पत्रों के द्वारा फ़ैल गई | पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित इस आन्दोलन को भारत में विशेष स्थान प्राप्त है | इस आन्दोलन की सफलता ने भारत में चलाये गए अन्य आन्दोलनों को भी प्रभावित किया | इस आन्दोलन से ग्रामीण क्षेत्रो में व्यापक जागरूकता के आन्दोलन चलाये गए |

Q4. भारतीय किसान यूनियन किसानो दूरदर्शन की तरफ ध्यान आकर्षित करने वाला अग्रणी संगठन

है | नब्बे के दशक में इसके किन मुदों को उठाया और ऐसे कहाँ तक सफलता मिली ?

उत्तर : 

भारतीय किसान यूनियन ने गन्ने और गेहूँ के सरकारी खरीद मूल्य में बढ़ोतरी कृषि उत्पादों के अंतर्राष्ट्रीय आवाजाही पर लगी रोक को हटाने, समुचित दर पर गारंटीशुदा बिजली आपूर्ति करने, किसानों के बकाया कर्ज माफ़ करने तथा किसानो के लिए पेंशन आदि जैसे मुद्दे को उठाया | इस संगठन ने राज्यों में मौजूद अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर अपनी कुछ मांगो को मनवाने में सफलता प्राप्त की |

Q5. आंध्रप्रदेश में चले शराब-विरोध आन्दोलन ने देश का ध्यान कुछ गभीर मुदो की तरफ खीचा | ये

मुदे क्या थे ?

उत्तर :

आंध्र प्रदेश में चले शराब- विरोधी आन्दोलन में निम्नलिखित मुद्दे उभरे -

(1) शराब पिने से पुरुषो का शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होना |

(2) ग्रामीण अर्थव्यवस्था का प्रभावित होना |

(3) शराबखोरी के कारण ग्रामीणों पर कर्ज का बोझ बढना |

(4) पुरुषो द्वारा अपने कम से गैरहाजिर रहना |

(5) शराब माफिया के सक्रिय होने से गांवों में अपराधों का बढ़ना |

(6) शराबखोरी से परिवार की महिलाओं से मारपीट एवं तनाव होना |

Q6. क्या आप शराब-विरोधी आन्दोलन को महिला - आन्दोलन का दर्जा देगे ? कारण बटाएँ |

त्तर :

शराब- विरोधी आन्दोलन को महिला आन्दोलन का दर्जा दिया जा सकता है, क्योंकि अब तक जितने भी शराब-विरोधी आन्दोलन हुए हैं, उनमे महिलाओं की भूमिका सबसे अधिक रहीं है |

Q7. नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने नर्मदा घाटी की बांध परियोजनाओ का विरोध क्यों लिया ?

उत्तर :

नर्मदा बाँध परियोजना के विरुद्ध नर्मदा बचाओं आन्दोलन चलाया गया | आन्दोलन के समर्थको का यह मत है, कि बाँध परियोजना के पूर्ण होने पर कई लाख लोग बेघर हो जाएँगे |

Q8. क्या आन्दोलन और विरोध की कार्रवाईयों से देश का लोकतंत्र मजबूत होता है ? अपने उतर की

पुष्टि में उदहारण दीजिए |

उत्तर :

जन अथवा सामाजिक आन्दोलन भारतीय लोकतंत्र को सुद्रढ बनाते हैं | जन-आन्दोलन अथवा सामाजिक आन्दोलन का अर्थ केवल सामूहिक कार्यवाही ही नहीं होता, बल्कि आन्दोलन का एक काम सम्बंधित लोगों को अपने अधिकार एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक भी बनता है | भारत में चलने वाले विभिन्न सामाजिक आन्दोलनों ने लोगों को इस सम्बन्ध में जागरूक बनाया है तथा लोकतंत्र को मजबूत किया है | भारत में समय-समय पर चिपको आन्दोलन, ताड़ी विरोधी आन्दोलन,नर्मदा बचाओं आन्दोलन तथा सरदार सरोवर परियोजना से सम्बंधित आन्दोलन चलते रहें हैं | इन आन्दोलनों ने कहीं-कहीं भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया हैं इन सभी आन्दोलनों का उद्देश्य भारतीय दलीय राजनीती की समस्या को दूर करना था सामाजिक आन्दोलन ने उन वर्गों के सामाजिक आर्थिक हितो को उजागर किया, जोकि समकालीन रजनीतिक के द्वारा नहीं उभरे जा रहें थे इस प्रकार सामाजिक आन्दोलनों ने समाज के गहरे तनाव और जनता के क्रोध को एक सकारात्मक दिशा देकर भारतीय लोकतंत्र को सुद्र्ण किया हैं | इसके साथ-साथ सक्रिय रजनीतिक भागीदारी के नये- नये रूपों के प्रयोगों ने भी भारतीय लोकतंत्र के जनाधार को बढ़ाया है | ये आन्दोलन जनसाधारण की उचित मांगो को उभार कर के सरकार के सामने रखते हैं तथा इस प्रकार जनता के एक बड़े भाग को अपने साथ जोड़ने में सफल रहते हैं | अतः जिस आन्दोलन में इतनी बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं, उसको समाज की स्वीकृति भी प्राप्त होती है तथा इससे देश में लोकतंत्र को मजबूती भी मिलती है |

 

 

Q9. दलित-पैथर्स ने कौन -से मुदे उठाए ?

उत्तर :

दलित पैंथर्स ने दलित समुदाय से सम्बंधित सामाजिक आसमानता, जातिगत आधार पर भेदभाव, दलित महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, दलितों का सामाजिक एवं आर्थिक उत्पीड़न तथा दलितों के लिए आरक्षण जैसे मुद्दे उठाए |

Q10. निम्नलिखित अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उतर दे :

.....लगभग सभी नए सामाजिक आन्दोलन नयी समस्याओ जैसे-पर्यावरण का विनाश,महिलाओ की बदहाली आदिवासी संस्कृति का नाश और मानवाधिकारों का उल्लंघन .........के समाधान को रेखांकित करते हुए उभरे | इनमे से कोई भी अपनेआप में समाजव्यवस्था के मूलगामी बदलाव के सवाल से नही जुड़ा था | इस अर्थ में ये आन्दोलन अतीत की कान्तिकारी विचारधाराओ से एकदम अलग है | लेकिन ये आन्दोलन बड़ी बुरी तरह बिखरे हुए है और यही इनकी कमजोरी है ..... सामाजिक आन्दोलन का एक बड़ा  दायरा एसी चीजो की चपेट में है कि वह एक ठोस तथा एकजुट जन आन्दोलन का रूप नही ले पाता और न ही वचितो और गरीबो के लिय प्रासंगिक हो पाता है | ये आन्दोलन बिखरे-बिखरे है प्रतिक्रिया के तत्वों से भरे है अनियत हैं और बुनियादी  सामाजिक बदलाव के लिए इनके पास कोई फ्रेमवर्क नही है | इस या उस के विरोध (पश्चिम-विरोधी, पूँजीवादी विरोधी,आदि) में चलाने के कारण इनमे कोई संगती आती हो अथवा दबे- कुचले लोगों और हाशिए के समुदायों के लिए ये प्रासंगिक हो पाते हो-एसी बात नही | 

(क) नए सामाजिक आन्दोलन और क्रांतिकारीविचारधाराओ में क्या अंतर है ?

(ख) लेखक के अनुसार सामाजिक आन्दोलनों की सीमाएं क्या-क्या हैं ?

(ग) यदि सामाजिक आन्दोलन विशिष्ट मुदों को उठाते हैं तो आप उन्हें विखरा हुआ कहेगे या मांगे

कि वे अपने मुदा पर कही ज्यादा केन्द्रित हैं | अपने उतर की पुष्टि में तर्क दीजिए |

उत्तर :

(क) क्रान्तिकारी विचारधाराएँ समाज व्यवस्था के मूलगामी बदलाव के साथ जुडी हुई होती हैं, जबकि नये सामाजिक आन्दोलन समाज व्यवस्था के मूलगामी बदलाव के साथ जुड़े हुए नहीं हैं |

(ख) सामाजिक आन्दोलन बिखरे हुए हैं तथा उनमें एकजुटता का आभाव है | सामाजिक आन्दोलन के पास सामाजिक बदलाव के लिए कोई ढांचागत योजना नहीं है |

(ग) सामाजिक आन्दोलन द्वारा उठाए गए विशिष्ट मुद्दों के कारण यह कहा जा सकता हैं की ये आन्दोलन अपने मुद्दे पर अधिक केन्द्रित हैं |

Chapter 6 The Crisis of Democratic Order NCERT Solutions

 


Chapter 6. लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट

अभ्यास

Q1. बटाएँ कि आपातकाल के बारे में निम्नलिखित कथन सही है या गलत --

(क) आपातकाल की घोषणा 1975 में इदिरा गांधी ने की |

(ख) आपातकाल में सभी मौलिक अधिकार निश्तिक्री हो गए |

(ग) बिगडती हुई आर्थिक स्थिति के मछेनजर आपातकाल की घोषणा की गई थी |

(घ) आपातकाल के दौरान विपक्ष के अनेक नेताओ को गिरफ्तार कर लिया गया |

(ड.) सी.पी.आई ने आपातकाल की घोषणा का समर्थन किया |

उत्तर : 

(क) सही (ख) सही (ग) गलत (घ) सही (ङ) सही |

Q2. निम्नलिखित में से कौन-सा आपातकाल की घोषणा के सन्दर्भ से मेल नही खाता है :

(क) संपूर्ण क्रांति का आह्वान 

(ख) 1974 की रेल - हड़ताल 

(ग) नक्सलवादी आदोलन 

(घ) इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला 

(ड.) शाह आयोग की रिपोर्ट के निष्कर्ष 

उत्तर :

(ग) |

Q3. निम्नलिखित में मेल  बैठाएँ 

(क) संपूर्ण क्रांति (i) इंदिरा गाँधी 
(ख) गरीबी हटाओ (ii) जयप्रकाश नारायण 
(ख) छात्र आन्दोलन (iii) बिहार आन्दोलन 
(ग) रेल हड़ताल (iv) जांर्ज फर्नाडिस 
  

उत्तर :

(क) संपूर्ण क्रांति         1. जयप्रकाश नारायण 

(ख) गरीबी हटाओ        2. इंदिरा गांधी 

(ग) छात्र आन्दोलन       3. बिहार आन्दोलन 

(ग) रेल हड़ताल          4. जांर्ज फर्नाडिस 

Q4. किन कारणों से 1980 में मध्यावधि करवाने पड़े ?

उत्तर : 

1980 में हुए मध्यावधि चुनाव का सबसे बड़ा कारण जनता पार्टी की सरकार की अस्थिरता थी | यद्दपि पार्टी ने 1977 के चुनावों में एकजुट होकर चुनाव लड़ा था, कांग्रेस पार्टी को चुनावों में हराया था, परन्तु जनता पार्टी के नेताओं में प्रधानमन्त्री के पद को लेकर मतभेद हो गए | पहले मोरारजी देसाई तथा बाद में कुछ समय के लिए चरण सिंह प्रधानमन्त्री इ | केवल 18 महीने में ही मोरारजी देसाई ने लोकसभा में अपना बहुमत खो दिया, जिसके कारण मोरारजी देसाई को त्याग- पत्र देना पड़ा | मोरारजी देसाई के पश्चात् चरण सिंह कांग्रेस i के समर्थन से प्रधानमंत्री बने, परन्तु चरण सिंह भी मात्र चार महीने ही प्रधानमन्त्री पद पर रह पाए, जिसके पश्चात्, 1980 में मध्यावधि चुनाव करवाए गए |

Q5. जनता पार्टी ने 1977 में शाह आयोग को नियुक्त किया था | इस आयोग की नियुक्ति क्यों की

गई थी और इसके क्या निष्कर्ष थे ?

उत्तर :

जनता पार्टी ने 1977 में शाह आयोग की नियुक्ति की | इस आयोग का मुख्य कार्य श्रीमती इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा आपातकाल में किए गए अत्याचारों की जाचं करना था | शाह आयोग का निष्कर्ष था कि वास्तव में श्रीमती गांधी कि सरकार ने लोगों पर अत्याचार किये तथा उन्होंने स्वंम तानाशाही ढंग से शासन किया |

Q6. 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुई सरकार ने इसके सरकार ने इसके क्या

कारण बताए थे ?

उत्तर :

1975 में राष्ट्रिय आपातकाल की घोषणा करते हुए सरकार ने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा लोकतंत्र को रोकने की कोशिश की जा रही थी तथा लोगों कि सरकार को उचित ढंग से कार्य नही करने दिया जा रहा हैं | विपक्षी दल सेना, पुलिस कर्मचारियों तथा लोगों लो सरकार के विरुद्द भड़का रहे हैं | इसलिए सरकार ने राष्ट्रिय आपातकाल कि घोषणा की |

Q7. 1977 के चुनावों के बाद पहली दफा केंद्र में विपक्षी दल की सरकार बनी | एसा किन कारणों से

संभव हुआ ? 

उत्तर :

 

Q8. हमारी राजव्यवस्था के निम्नलिखित पक्ष पर आपातकाल का क्या असर हुआ ?

(क) नागरिकों अधिकारों की रक्षा और नागरिकों पर इसका असर |

(ख) कार्यपालिका और न्यायपालिका के सम्बन्ध |

(ग) जनसंचार माध्यमों के कामकाज |

(घ) पुलिस और नौकरशाही की कार्रवाइयां |

उत्तर :

(क) आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों को निलम्बित कर दिया गया तथा नागरिकों को बिना कारण बताए क़ानूनी हिरासत में लिया जा सकता था |

(ख) आपातकाल में कार्यपालिका एवं न्यायपालिका एक-दूसरे के सहयोगी हो गए, क्योंकि सरकार के प्रति वफादार रहने के लिए कहा तथा आपातकाल के दौरान कुछ हद तक न्यायपालिका सरकार के प्रति वफादार भी रही | इस प्रकार आपातकाल के दौरान न्यायपालिका कार्यपालिका के आदेशों का पालन करने वाली एक संस्था बन गई थी |

(ग) आपातकाल के दौरान जनसंचार पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था, कोई भी अख़बार के विरुद्द कोई भी खबर या सम्पादकीय नहीं लिख सकता था तथा जो भी खबर अख़बार द्वारा छपी जाती थी, उसे पहले सरकार से स्वीकृति प्राप्त करनी पडती थी |

Q9. भारत की दलीय प्रणाली पर आपातकाल का किस तरह असर हुआ ? अपने उतर पुष्टि उदाहरण

से करे |

उत्तर :

आपातकाल का भारत की दलीय प्रणाली पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा क्योंकि अधिकांश विरोधी दलों को किसी प्रकार की रजनीतिक गतिविधियों की इजाजत नहीं थी | आजादी के समय से लेकर 1975 तक भारत में वैसे भी कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व रहा तथा संगठित विरोधी दल उभर नहीं पाया, वहीं आपातकाल के दौरान विरोधी दलों की स्थिति और भी खराब हुई |

Q10. निम्नलिखित अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गया प्रश्नों के उतर दें -

1977 के चुनावों के दौरान भारतीय लोकतंत्र दो-दलीय व्यवस्था के जितना नजदीक आ गया था उतरा पहली कभी नही आया | बहरहाल अगले कुछ सालो में मामला पूरी तरह बदल गया | हराने के तुरंत बाद कांग्रेस दो टुकडो में बंट गई ...... जनता पार्टी में भी बड़ी अफरा-तफरी मची ........ डेविड बटलर अशोक लाहिड़ी और प्रणव रॉय 

(क) किन वजहों से 1977में भारत की राजनीतिक दो-दलीय प्रणाली के समान जन पद रही थी ?

(ख) 1977 में दो से ज्यादा पार्टीयाँ अस्तित्व में थी | इसके बावजूद लेखकगण इस दौर को दो-

दलीय प्रणाली के नजदीक क्यों बता रहे है ?

(ग) कांग्रेस और जनता पार्टी में किन कारणों से टूट पैदा हुई ?

उत्तर :

(क) 1977 में भारत की रजनीति दो- दलीय प्रणाली के समान इसीलिए दिखाई पड़ रही थी, क्योंकि  समय मुख्य रूप से केवल दो दल ही चुनावी दंगल में आमने- सामने थे, जिसमे सताधारी दल कांग्रेस एवं मुख्य विपक्षी दल जनता पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला था |

(ख) यद्दपि 1977 में दो से ज्यादा पार्टियां अस्तित्व में थीं, परन्तु अधिकांश विपक्षी दलों जैसे संगठन कांग्रेस,जनसंघ, भारतीय लोकदल और सोशलिस्ट पार्टी ने मिल कर जनता पार्टी के नाम से एक पार्टी बना ली थी, जिस कारण 1977 ने केवल कांग्रेस एवं जनता पार्टी ही चुनावी दंगल में आमने-सामने थीं |इसीलिए लेखकगण इसी दौर को दो-दलीय प्रणाली के नजदीक बताते हैं |

(ग) कांग्रेस में 1977 में हुई हार के कारण नेताओं में पैदा हुई निराशा के कारण फूट पैदा हुई, क्योंकि अधिकांश कांग्रेसी नेता श्रीमती गांधी के चमत्कारिक नेतृत्व के मोहपाश से बाहर निकल चुके थे | दूसरी ओर जनता पार्टी में नेतृत्व को लेकर फूट पैदा हो गई थी |

 

Chapter 5 Challenges to and Restoration of Congress System NCERT Solutions

 


Chapter 5. कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

अभयास

Q1. 1967 के चुनावों के बारे में निम्नलिखित में कौन-कौन से बयान सही है :

(क) कांग्रेस लोकसभा के चुनाव में विजयी रही , लिकिन किए राज्यों में विधानसभा के चुनाव वह हर

गई |

(ख) कांग्रेस लोकसभा के चुनाव भी हारी और विधानसभा के भी |

(ग) कांग्रेस को लोकसभा में बहुत नही मिला लेकिन उसने पार्टियों के समर्थन से एक गठबंधन  सरकार

बनाई |

(घ) कांग्रेस केंद्र में सतासीन रही और उसका बहुत भी बढ़ा |

उत्तर :

(ग) |

Q2. निम्नलिखित का मेल करे :

(क) सिंडिकेट (i) कोई निर्वाचित जन-प्रतिनिधि जिस पार्टी के टिकट से जीता हो उस पार्टी को छोड़कर अगर दूसरी दल में चला जाए |
(ख) दल-बदल (ii) लोगों का ध्यान आकर्षित करने वाला एक मनभावन मुहावरा | 
(ग) नारा (iii) कांग्रेस और इसकी नीतियों के खिलाफ अलग-अलग विचारधाराओं की पार्टीयो का एकजुट होना |
(घ) गैर-कांग्रेसवाद (iv) कांग्रेस के भीतर ताकतवर और प्रभावशाली नेताओ का एक समूह |

उत्तर :

(क) सिंडिकेट        4. कांग्रेस के भीतर ताकतवर और प्रभावशाली नेताओं का एक समूह |

(ख) दल-बदल       1. कोई निर्वाचित जन-प्रतिनिधि जिस पार्टी के टिकट से जीता हो उस पार्टी को                     छोड़कर अगर दूसरे दल में चला जाए |

(ग) नारा           2. लोगों का ध्यान आकर्षित करने वाला एक मनभवन मुहावरा |

(घ) गैर-कांग्रेसवाद    3. कांग्रेस और इसकी नीतियों के खिलाफ अलग-अलग विचारधाराओं की                           पार्टियों को एकजुट होना |

Q3. निम्नलिखित नारे से किन नेताओं का संबंध है :

(क) जय जवान , जय किसान 

(ख) इंदिरा हटाओ 

(ग) गरीबी हटाओ 

उत्तर :

(क) लाल बहादुर शास्त्री 

(ख) सिंडिकेट 

(ग) श्रीमती इंदिरा गांधी |

Q4. 1971 के ग्रेड अलायन्स के बारे में कौन-सा कथन ठीक है ?

(क) इसका गठन गैर - कम्युनिस्ट और गैर-काग्रेसी दलों ने किया था |

(ख) इसके पास एक स्पस्ट राजनीतिक तथा विचारधारात्मक कार्यक्रम था |

(ग) इसका गठन सभी गैर- कर्ग्रेसी दलों ने एकजुट होकर किया था |

उत्तर :

(क) |

Q5. किसी राजनीतिक दल को अपने अंदरुनी मतभेदों का समाधान किस तरह करना चाहिए ? यहाँ कुछ समाधान दिए गए है | प्रत्येक पर विचार कीजिए और उसके सामने फायदों और घाटों को लिखिए |

(क) पार्टी के अध्यक्ष द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना |

(ख) पार्टी के भीतर बहुमत की राय पर अमल करना 

(ग) हरेक मामले पर गुप्त मतदान करना |

(घ) पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओ से सलाह करना |

उत्तर : 

(क) पार्टी के मतभेदों को दूर करने के लिए पार्टी अध्यक्ष के बताए मार्ग पर चलने से पार्टी में एकता और अनुशासन बना रहेगा, परन्तु इससे एक व्यक्ति की तानाशाही स्थापित होने का खतरा बना रहता है |

(ख) मतभेदों को दूर करने के लिए बहुमत की राय जानने से यह लाभ होगा की इससे अधिकांश सदस्यों की राय का पाता चलेगा, परन्तु बहुमत की राय मानने से से अल्पसंख्यको की उचित बात की अवहेलना की सम्भवना बनी रहेगी |

(ग) पार्टी के मतभेदों को दूर करने के लिए गुप्त मतदान की प्रक्रिया अपनाने से प्रत्येक सदस्य अपनी बात स्वतंत्रतापूर्वक रख सकेगा, परन्तु गुप्त मतदान में क्रोस वोटिंग का खतरा बना रहता है |

(घ) पार्टी के मतभेदों को दूर करने के लिए वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं की सलाह का विशेष लाभ होगा, क्योंकि वरिष्ठ नेताओ के पास अनुभव होता है तथा सभी सदस्य उनका आदर करते हैं, परन्तु वरिष्ठ एवं अनुभवी व्यक्ति नये विचारों एवं मूल्यों को अपनाने से कतराते हैं |

6. निम्नलिखित में इ किसे / किन्हें 1967 के चुनावों में कांग्रेस की हर के कारण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है ? अपने उतर की पुषिट में तर्क दीजिए :

(क) कांग्रेस पार्टी में करिश्माई नेता का अभाव |

(ख) कांग्रेस पार्टी के भीतर टूट |

(ग) क्षेत्रीय, जातीय और साप्रदायिक समूहों की लामबंदी को बढ़ाना |

(घ) गैर-कांग्रेसी दलों के बीच एकजुटता |

(ड.) कांग्रेस पार्टी के अन्दर मतभेद |

उत्तर :

गैर- कांग्रेसी दलों के बीच एकजुटता तथा कांग्रेस पार्टी के अन्दर मतभेद 1967 के चुनावों में कांग्रेस कि हार के मुख्य कारण हैं | 1967 के चुनावों में अधिकांश विपक्षी दलों ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था, जबकि कांग्रेस पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर मतभेद बने हुए थे |

Q7. 1970 के दशक में इंदरा गांधी की सरकार किन कारणों से लोकप्रिय हुई थी ?

उत्तर : 

1970 के दशक में इंदिरा गांधी की सरकार निम्नलिखित कारणों से लोकप्रिय हुई :-

(1) उत्पादन और राजस्व में वृद्धि - 1970 के दशक से पूर्व हरित क्रांति व श्वेत क्रांति जैसे कार्यक्रम कराए गए | जिससे किसानों को उन्नत किस्म के बीज खाद्द, उर्वरक आदि उपलब्ध कराए गए, जिससे उत्पादन व राजस्व में वृद्धि हुई |

(2) 1971 का भारत- पाक युद्द - 1971 में बंगलादेश को लेकर भारत व पाक के बीच युद्द हुआ जिसमें भारत की जीत हुई | विश्व में सभी लोगों ने इंदिरा गांधी की प्रशंसा की |

(3) 14 बैंको का राष्ट्रीयकरण व प्रिवी पर्स - इंदिरा गांधी ने अपने शासन काल में 14 बैंको को सरकारी सम्पति बनाया और राजाओं के विशेषाधिकार को खत्म करके उन्हें जनसाधारण के रूप में लाकर खड़ा किया |

(4) गरीबी हटाओ का कार्यक्रम - इंदिरा गांधी ने 1971 में एक बीस सूत्री कार्यक्रम पेश किया जिसमे मुख्य गरीबी हटाओं था | इसमें जनता के आर्थिक विकास के बिन्दु मौजूद थे इस कारण से इंदिरा गांधी को बहुत सराहा गया |

8. 1960 के दशक की कांग्रेस पार्टी के सन्दर्भ में सिंडिकेट का क्या अर्थ है ? सिंडिकेट ने कांग्रेस पार्टी में क्या भूमिका निभाई ? 

उत्तर :

कांग्रेस के भीतर सिंडिकेट का अर्थ - सिंडिकेट कांग्रेस के भीतर ताकतवर व प्रभावशाली नेताओं का समूह था | इस समूह के नेताओं पार्टी के संगठन पर नियन्त्रण था | सिंडिकेट में मद्रास के के. कामराज, मुंबई के एस. के पाटिल, मैसूर के एस.निजलिंगप्पा, आन्ध्र प्रदेश के एन.संजीव रेड्डी, पश्चिम बंगाल के अतुल्य घोष, तथा बिहार के के.बी.सहाय जैसे दिग्गज नेता शामिल थे |

Q9. कांग्रेस पार्टी किन मसलो को लेकर 1969 में टूट की शिकार हुई ?

उत्तर :

कांग्रेस पार्टी निम्न कारणों से टूट की शिकार हुई :-

(1) 14 बैंको का राष्ट्रीयकरण व प्रिवी पर्स - इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों को सरकारी संपति घोषित कर दिया और राजाओं के विशेषाधिकार प्रिवी पर्स को समाप्त कर दिया,जिस कारण से इंदिरा गांधी और उस समय के वित मंत्री मोरारजी देसाई के बीच मतभेद उभरे |

(2) 1969 का राष्ट्रपति चुनाव - 1969 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में इंदिरा गांधी और सिंडिकेट के बीच तनाव का माहौल बन गया |

(3) गुजरे वक्त के मतभेद - कांग्रेस पार्टी में पहले से ही आपसी मतभेद चल रहें थे जिनका समाधान करने का अवसर 1969 के राष्ट्रपति चुनाव में लिया |

(4) आधिकारिक उम्मीदवार की हार - 1969 के राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी की हार हुई और वी.वी गिरी राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए |

(5)प्रधानमन्त्री का निष्कासन - आधिकारिक उम्मीदवार की हार के बाद कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमन्त्री को निष्कासित कर दिया | इससे पार्टी दो भागो में विभाजित हो गई |

म्नलिखित अनुच्छेद को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उतर दे :

इदिरा गांधी ने काग्रेस को अत्यंत केद्रीक्रीत और अलोकतांत्रिक पार्टी संगठनों में तब्दील कर दिया , जब कि नेहरू के नेत्रित्व में कांग्रेस शुरूआती दशको में एक संघीय लोकतांत्रिक और विचारधाराओ के समाहार का मच थी | नई और लोकलुभावना राजनीति ने राजनितिक विचारधारा को महज चुनावी विमर्श में बदल दिया | कई नारे उछाले गए , लिकिन इसका मतलब यह नही थी कि उसी के अनुकूल सरकार की नीतियां भी बनानी थी -1970 के दशक के शुरूआती सालो में अपनी बड़ी चुनावी जीत के जश्न के बीच कांग्रेस एक कांग्रेस एक राजनीतिक संगठन के तौर पर मर गई |

(क) लेखक के अनुसार नेहरू और इंदिरा गांधी द्वारा अपनाई गई रणनीतियो में क्या अंतर था ?

(ख) लेखक ने क्यों कहा है कि स्तर के दशक में कांग्रेस मर गई ?

(ग) कांग्रेस पार्टी में आए बदलावों का असर दूसरी पार्टीयो पर किस तरह पड़ा ?

उत्तर : 

(क) पं नेहरु पार्टी के नेताओं से विचार- विमर्श करके अपने रणनीतियां बनाते थे, जबकि श्रीमती गाँधी कई बार बिना किसी से कोई परामर्श किए ही रणनीतियां बनाती थीं |

(ख) लेखक ने इसलिए कहा कि कांग्रेस पार्टी मर गई, क्योंकि श्रीमती गांधी क्र समय पार्टी संगठन को महत्व नहीं दिया जाता था |

(ग) कांग्रेस पार्टी में आए बदलावों से दूसरी पार्टियों को एकजुट होने में सहायता मिली |