🌍 भू – आकृतियाँ तथा उनका विकास
❇️ भू – आकृतियाँ क्या हैं?
🔹 पृथ्वी के धरातल का निर्माण मुख्य रूप से अपरदन (Erosion) और निक्षेपण (Deposition) की प्रक्रियाओं से होता है।
🔹 इसके प्रमुख कारक हैं –
🌊 नदियाँ
💨 पवनें
❄️ हिमानी
🌊 समुद्री लहरें
👉 ये कारक चट्टानों को तोड़ते हैं, अवसाद (Sediments) को ले जाते हैं और फिर उन्हें अन्य जगह पर जमा कर देते हैं।
👉 इन्हीं प्रक्रियाओं से धरातल पर अलग–अलग प्रकार की भू–आकृतियाँ (Landforms) बनती हैं।
❇️ भू – आकृति विज्ञान (Geomorphology)
🔹 यह पृथ्वी के धरातल के इतिहास का अध्ययन है।
🔹 इसमें शामिल है –
✔️ धरातल की आकृतियाँ (Shapes)
✔️ उनका निर्माण करने वाले पदार्थ (Materials)
✔️ और वे प्रक्रियाएँ (Processes) जिनसे धरातल बना है।
❇️ प्रमुख भू – आकृतियाँ
🌋 ज्वालामुखी (Volcano)
🏞️ कैनियन (Canyon)
⛰️ पहाड़ (Mountains)
🏜️ मैदान (Plains)
🏝️ द्वीप (Islands)
🏞️ झील (Lakes)
💦 जलप्रपात (Waterfalls)
🌄 घाटी (Valley)
❇️ नदियों द्वारा बनी स्थलाकृतियाँ
🔹 अपरदन से बनी आकृतियाँ
- V आकार की घाटी (V–Shaped Valley)
- गार्ज (Gorge)
- कैनियन (Canyon)
- जलप्रपात (Waterfall)
- अधः कर्तित विसर्प (Incised Meander)
🔹 निक्षेपण से बनी आकृतियाँ
- नदी वेदिका (Flood Plain)
- गोखुर झील (Ox–Bow Lake)
- गुंफित नदी (Braided River)
🌊 नदी | प्रवाहित जल
❇️ नदी द्वारा स्थलरूप विकास की अवस्थाएँ
नदी का जीवन भी मनुष्य की तरह होता है –
- ⛰️ युवावस्था → पहाड़ी क्षेत्रों में
- 🌾 प्रौढ़ावस्था → मैदानी क्षेत्रों में
- 🌊 वृद्धावस्था → डेल्टा क्षेत्रों में
1️⃣ युवावस्था (⛰️ पहाड़ी प्रदेश में)
🔹 इस अवस्था में नदियाँ पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
🔹 इनकी संख्या बहुत कम होती है।
🔹 ये V–आकार की घाटियाँ बनाती हैं।
🔹 बाढ़ के मैदान अनुपस्थित या बहुत संकरे होते हैं।
🔹 जल विभाजक (Water Divides) चौड़े होते हैं जिनमें दलदल और झीलें पाई जाती हैं।
2️⃣ प्रौढ़ावस्था (🌾 मैदानी प्रदेशों में)
🔹 नदियों में पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है।
🔹 कई सहायक नदियाँ इसमें आकर मिलती हैं।
🔹 घाटियाँ अभी भी V–आकार की होती हैं लेकिन गहरी और विस्तृत होती हैं।
🔹 इस अवस्था में नदी बहुत चौड़ी और व्यापक हो जाती है।
🔹 यहाँ विस्तृत बाढ़ के मैदान पाए जाते हैं।
🔹 नदी अपने प्रवाह में विसर्प (Meanders) बनाती हुई बहती है।
3️⃣ वृद्धावस्था (🌊 डेल्टा क्षेत्रों में)
🔹 यह अवस्था नदी के जीवन का अंतिम चरण है।
🔹 यहाँ सहायक नदियों की संख्या कम हो जाती है।
🔹 ढाल (Slope) धीरे–धीरे मंद हो जाता है।
🔹 नदियाँ स्वतंत्र रूप से विस्तृत बाढ़ के मैदानों में बहती हैं।
🔹 इस अवस्था में नदी बनाती है –
✔️ नदी विसर्प (Meanders)
✔️ प्राकृतिक तटबंध (Natural Levees)
✔️ गौखुर झील (Ox–Bow Lake)
✔️ डेल्टा (Delta)
✴️ अपरदित स्थलरूप (Erosional Landforms)
🌄 घाटियाँ (Valleys)
🔹 घाटियों की शुरुआत छोटी-छोटी सरिताओं (streams) से होती है।
🔹 ये सरिताएँ धीरे–धीरे लम्बी और विस्तृत अवनलिकाओं (gullies) में बदल जाती हैं।
🔹 समय के साथ ये अवनलिकाएँ और गहरी, चौड़ी व लम्बी होकर घाटियों का रूप ले लेती हैं।
👉 घाटियों के प्रकार –
- V–आकार की घाटी (V-Shaped Valley)
- गार्ज (Gorge)
- कैनियन (Canyon)
🏞️ गार्ज (Gorge)
🔹 यह एक गहरी और संकरी घाटी होती है।
🔹 इसके दोनों किनारे बहुत तेज़ ढाल वाले होते हैं।
🔹 तल और ऊपरी भाग की चौड़ाई लगभग बराबर होती है।
🔹 गार्ज का निर्माण कठोर चट्टानी क्षेत्रों में होता है।
🏜️ कैनियन (Canyon)
🔹 कैनियन भी गार्ज की तरह गहरे होते हैं।
🔹 किनारे खड़ी ढाल वाले होते हैं।
🔹 अंतर यह है कि – कैनियन का ऊपरी भाग तल की तुलना में अधिक चौड़ा होता है।
🔹 यह अक्सर अवसादी चट्टानों के क्षैतिज स्तरण (Horizontal strata) में बनते हैं।
💧 जल गर्तिका (Pothole)
🔹 नदी तल में फँसकर छोटे–छोटे चट्टानी टुकड़े गोल–गोल घूमते रहते हैं।
🔹 इस घर्षण से जो गोल आकार का गड्ढा बनता है, उसे जल गर्तिका कहते हैं।
🌀 अवनमित कुंड (Plunge Pool)
🔹 जब जलप्रपात (Waterfall) से जल ऊँचाई से नीचे गिरता है, तो उसके तल में गहरे गर्त का निर्माण होता है।
🔹 जल के साथ चट्टानों के टुकड़े वृत्ताकार घूमते हैं और बड़ा कुंड बना देते हैं।
🔹 ये कुंड घाटियों को और गहरा करने में मदद करते हैं।
🏞️ नदी वेदिकाएँ (River Terraces)
🔹 ये शुरुआती बाढ़ के मैदानों या प्राचीन नदी घाटियों के तल के चिह्न होते हैं।
🔹 यह बाढ़ के मैदानों में लम्बवत अपरदन से निर्मित होती हैं।
🔹 अलग–अलग ऊँचाइयों पर कई वेदिकाएँ हो सकती हैं, जो नदी के पुराने जल स्तर को दर्शाती हैं।
👉 नदी वेदिकाओं के प्रकार –
- युग्मित वेदिकाएँ – जब दोनों तटों पर समान ऊँचाई की वेदिकाएँ हों।
- अयुग्मित वेदिकाएँ – जब केवल एक ओर वेदिकाएँ हों या दोनों ओर ऊँचाई अलग–अलग हो।
👉 नदी वेदिकाओं के बनने के कारण –
- जल प्रवाह में कमी
- जलवायु परिवर्तन
- भू–उत्थान (Tectonic uplift)
- समुद्र तल में परिवर्तन
🌊 जल प्रपात (Waterfall)
🔹 जब नदी किसी कठोर चट्टान से गुजरती है जिसे काटना कठिन होता है, और उसके बाद नरम चट्टान मिलती है जिसे आसानी से काट सकती है →
🔹 तो नदी तल में ऊँचाई का अंतर पैदा होता है।
🔹 नतीजा → नदी का जल ऊपर से नीचे गिरता है और जलप्रपात बनता है।
⛲ क्षिप्रिका (Rapids)
🔹 जब नदी तल पर कठोर और नरम चट्टानें क्रम से मिलती हैं →
🔹 नदी इन पर बहते हुए सीढ़ी जैसी आकृति बना लेती है।
🔹 इस प्रक्रिया में कई छोटे–छोटे प्रपात बनते हैं जिन्हें क्षिप्रिका कहते हैं।
✴️ निक्षेपित स्थलरूप (Depositional Landforms) ✴️
🌊 नदी द्वारा निर्मित स्थलरूप
1. जलोढ़ पंख (Alluvial Fans)
🔹 जब नदी पर्वतीय क्षेत्रों से नीचे आती है, तो प्रवाह की गति धीमी हो जाती है।
🔹 इसके साथ लाए कंकड़-पत्थर तिकोने पंखे के आकार में जमा हो जाते हैं।
👉 इसे जलोढ़ पंख कहते हैं।
2. डेल्टा (Delta)
🔹 जब नदियाँ समुद्र में गिरती हैं तो उनकी गति मंद हो जाती है।
🔹 नदियाँ अपने अवसाद को त्रिभुजाकार रूप में जमा करती हैं।
👉 इसे डेल्टा कहते हैं।
3. बाढ़ के मैदान (Flood Plains)
🔹 निक्षेपण से बने प्रमुख स्थलरूप।
🔹 बारीक पदार्थ (रेत, मिट्टी, कंकड़) नदी के किनारे हर साल बाढ़ के समय जमा होते हैं।
👉 इन्हें बाढ़ के मैदान कहते हैं।
4. नदी विसर्प (Meander)
🔹 नदी मार्ग में “S” आकार का घुमाव नदी विसर्प कहलाता है।
🔹 बाहरी किनारे पर अपरदन और भीतरी किनारे पर निक्षेपण होता है।
🔹 समय के साथ यह अलग होकर गोखुर झील (Ox-bow Lake) बना देता है।
5. गुम्फित नदी (Braided River)
🔹 नदी की गति मंद होने पर अवसाद जमा हो जाता है।
🔹 नदी कई शाखाओं में बंट जाती है जो बालू की दीवारों से अलग होती हैं।
👉 ऐसी नदी को गुम्फित नदी कहते हैं।
💧 भौमजल (Groundwater)
अपरदित स्थलरूप (Erosional Landforms)
🔶 घोल रंध्र (Sink Hole): कीप के आकार के गड्ढे (0.5–30 मीटर तक गहरे)।
🔶 विलय रंध्र (Solution Sink): चूना पत्थर की चट्टानों में बने छिद्र।
🔶 लैपिज (Lapies): संधियों में घुलन प्रक्रिया से बने नुकीले पत्थर।
निक्षेपित स्थलरूप (Depositional Landforms)
🔶 स्टैलेक्टाइट: गुफाओं की छत से लटकते चूना स्तंभ।
🔶 स्टैलेग्माइट: गुफा के धरातल पर खड़े स्तंभ।
🔶 स्तंभ (Pillar): स्टैलेक्टाइट और स्टैलेग्माइट के मिलन से बना चूना स्तंभ।
❄️ हिमनद (Glaciers)
🔹 परिभाषा: मोटी बर्फ की परत जो गुरुत्वाकर्षण के कारण धीरे-धीरे बहती है।
प्रकार
🔶 महाद्वीपीय हिमनद: विशाल समतल क्षेत्रों में फैली बर्फ।
🔶 पर्वतीय/घाटी हिमनद: पर्वतीय ढालों पर बहते हिमनद।
विशेषताएँ
✔️ जल की तुलना में प्रवाह मंद।
✔️ गति कुछ सेंटीमीटर से कुछ मीटर प्रतिदिन।
✔️ मुख्य बल – गुरुत्वाकर्षण।
हिमनद द्वारा निर्मित अपरदित स्थलरूप
🔶 सर्क (Cirque): खड़े किनारे वाले गर्त।
🔶 टार्न झील: सर्क में पिघलकर भरा जल।
🔶 श्रृंग (Horn): दो सर्क मिलकर नुकीली चोटी बनाते हैं।
हिमनद द्वारा निर्मित निक्षेपित स्थलरूप
🔶 ड्रमलिन: रेत-बजरी का ढेर।
🔶 भेड़ शिला (Roche moutonnée): एक ओर मंद और दूसरी ओर तीव्र ढाल वाली शिला।
🌊 अन्य स्थलरूप
फियोर्ड (Fjord)
🔹 समुद्री तट पर बने गहरे हिमनदी गर्त, जिनमें समुद्री जल भर जाता है।
मोनाडनोक (Monadnock)
🔹 अपवाह बेसिन समतल हो जाने पर बचे हुए अवरोधी चट्टानों के अवशेष।
इंसेलबर्ग (Inselberg)
🔹 मरुस्थल में अपरदन से बनी खड़ी चट्टानी आकृति।
🌬️ पवन द्वारा बनी स्थलरूप
🔹 पवन शुष्क और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में प्रमुख रूप से कार्य करती है।
🔹 मोटे रेतकण ऊपर नहीं उठ पाते, इसलिए अपरदन सतही रहता है।
स्थलरूप
🔶 छत्रक शैल (Mushroom Rock): तेज हवाओं से काटकर बनी छतरी जैसी आकृति।
🔶 बरखान (Barchan): अर्द्धचंद्राकार रेत के टिब्बे, जिनका एक ढाल मंद और दूसरा तीव्र होता है।