📷 Chapter -1 Cold War Era In World Politics IMPORTANT QUESTION

 1. शीत युद्ध से क्या अभिप्राय है ?

ans. यह एक ऐसी अवस्था है जब दो या अधिक देशो के बीच भय , असुरक्षा , कूटनीति दांवपेच, वैचारिक मतभेद
एक दुसरे को नीचा दिखाकर अपनी श्रेष्ठता दिखाने का वातावरण हो ! इसमें युद्ध की सम्भावना बनी रहती है
लेकिन किसी प्रकार का वास्तविक युद्ध नहीं होता !

2. महाशक्तियां छोटे देशो के साथ सैन्य गठबंधन क्यों रखती है ?
ans. a) महाशक्तियाँ छोटे देशो को अपने अधिकार में लेकर उन स्थानों से सेना का संचालनकर सकती है तथा युद्ध
समग्री का संग्रहण भी कर सकती है
b) सैनिक ठिकाने जहाँ से महाशक्तियाँ एक दुसरे की जासूसी कर सके
c) आर्थिक मदद जिसमे गठबंधन में शामिल बहुत से छोटे –छोटे देश सैन्य खर्च वहन कर सके
d) उनके संसाधनों पर नियंत्रण स्थापित कर सके जैसे तेल और खनिज

3. क्यूबा मिसाइल संकट क्या था ?
ans. a) क्यूबा अमेरिका से लगा हुआ एक छोटा सा द्वीप है 1962 मे सोवियत संघ द्वारा क्यूबा को सैनिक अड्डे के
रूप में बदलने के लिए परमाणु मिसाइलों को तैनात करना ...
b) इन हथियारों की तैनाती से अमेरिका पहली बार नजदीकी निशाने की सीमा में आ गया
c) हथियारों की तैनाती से सोवियत संघ पहले की तुलना मे अब अमेरिका के मुख्य भू-भाग के लगभग दोगुने
ठिकानो या शहरो पर हमला कर सकता था
d) क्यूबा में सोवियत संघ द्वारा परमाणु हथियार तैनात करने की भनक अमरीकियों को तीन हप्ते बाद लगी
e) अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी और उनके सलाहकार ऐसा कुछ भी करने से हिचकिचा रहे थे जिसमे दोनों
देशो के बीच परमाणु युद्ध शुरु हो जाए
f) कैनेडी ने आदेश दिया की अमेरिकी जंगी बेड़ों को आगे करके क्यूबा की तरफ जाने वाले सोवियत जहाजो को
रोका जाए ! ऐसी स्थति में लगा की युद्ध होकर रहेगा लेकिन सोवियत जहाजो ने वापसी का रुख किया जिससे
दुनिया ने चैन की साँस ली !

4. शीत युद्ध से हथियारों की होड़ और हथियारों पर नियंत्रण दोनों प्रतिक्रिया पैदा हुयी कैसे स्पष्ट कीजिये ?
ans. शीत युद्ध से हथियारों की होड़ :- a) शीत युद्ध की शुरुआत दुसरे विश्व युद्ध के बाद हुई सोवियत संघ और
अमेरिका दोनों में शास्त्रों की होड़ लगी हुई थी
b) दोनों ही देशो ने अधिक से अधिक हथियारों का निर्माण व भंडारण किया ताकि शत्रु देश को भयभीत किया जा
सके और अपनी सुरक्षा कर सके

c) मानव जाति परमाणु युद्ध के आतंक के साये में जीवन बिता रहा था और पुरे विश्व पर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा था
d) शीतयुद्ध काल में शंतिपूर्ण प्रतिद्वन्दता का स्थान आक्रामक राजनितिक सैनिक प्रतिद्वन्दता ने ले लिया पुराने सैनिक अड्डो का विस्तार और नए सैनिक अड्डो की खोज था परमाणु हथियारों का निर्माण करना दोनों देशो के बीच निरंतर चलता रहा !
हथियारों पर नियंत्रण के प्रयास :- दोनों देशो ने इतने परमाणु हथियारों का निर्माण कार लिया की यह कहा जाने लगा की अगर परमाणु युद्ध हुआ तो एक दुसरे पर आक्रमण कर हरा भी दिया तो दुसरे शक्ति के पास इनने हथियार बच जाएंगे की वह विजेता देश को बर्बाद कर दे इसी कारण दोनों देशो ने शांति स्थापना के लिए कुछ प्रयास किये
a) सीमित परमाणु परिक्षण संधि (LTBT)
b) परमाणु अप्रसार संधि (NPT)
c) सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ता -1 (SALT-1)
d) सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ता -2 (SALT-2)

5. गुटनिरपेक्ष आन्दोलन को तीसरी दुनिया के देशो ने तीसरे विकल्प के रूप में समझा जब शीतयुद्ध अपने शिखर पर था तब इस विकल्प ने तीसरी दुनिया के देशो के विकास में कैसे मदद की वर्णन कीजिये ?
ans. a) गुटनिरपेक्ष आन्दोलन ने एशिया,अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के नव स्वतंत्र देशो को महाशक्तियों के गुटों से
अलग होने का विकल्प दिया
b) शीतयुद्ध के दौरान इस विकल्प से तीसरी दुनिया के देशो को विकास करने में काफी सहायता प्राप्त हुई
c) तीसरी दुनिया के अधिकांश देश अल्पविकसित थे जिन्होंने अपने आर्थिक विकास के लिए नई अन्तराष्ट्रीय
आर्थिक विकास नीति को अपनाया !
d) इस आर्थिक नीति द्वारा वैश्विक प्रणाली में सुधार का प्रस्ताव दिया गया ताकि तीसरी दुनिया के देशो में
विकास के स्तर को बढ़ाया जा सके
e) अल्पविकसित देशो को अपने उन प्राकृतिक संसाधनों पर जिसका दोहन पश्चिमी देश करते थे उस पर नियंत्रण
प्राप्त हो गया
f) अल्पविकसित देश अपना समान पश्चिमी बाजारों में बेच सकते थे जिसका लाभ इन्हें मिलना शुरू हो गया
g) नई तकनीक की पश्चिमी राष्ट्रों से प्राप्ति का अवसर मिलाना जिनकी कीमत भी कम थी
h) अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओ में इन देशो की मूमिका का बढ़ाना

6. शीतयुद्ध के दौरान भारत की सयुंक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के प्रति विदेश नीति क्या थी ?
ans. शीतयुद्ध के दौरान भारत ने अपने आप को दोनों गुटों से अलग रखा भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई !
भारत ने सदैव दोनों गुटों में पैदा हुए मतभेदों को कम करने के प्रयास किये जिसके कारण ये मतभेद व्यापक
युद्ध का रूप धारण न कर सके !
संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रति भारत की विदेश नीति :-भारत और अमेरिका के सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण नही है इसका
मूल कारण अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को सहायता देना इसलिए अमेरिका को भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति
रास नही आई !
b) 1965 और 1971 के भारत –पाक युद्ध में में अमेरिका का रुख भारतविरोधी बना रहा
c) भारत ने अमेरिका के साथ अपने संबंधो को सुधारना चाहा पर ,भरतीय हितो की बलि देकर नहीं ! भारत ने एनपीटी
पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया
d) 1960 के दशक में अमेरिका ने हमे ऋण भी दिया और हमारी अनाज की आवश्यकताभी पूरी की शिक्षा,तकनीक और
संस्कृति के क्षेत्रो में दोनों देशो के बीच आदान प्रदान बना रहा

सोवियत संघ के प्रति भारत की विदेश नीति:- a) महाशक्तियों के संघर्ष से अलग रहकर भी भारत सोवियत संध के साथ मजबूत रिश्ते का इच्छुक था
b) भारत के इस्पात कारखानों के लिए सोवियत संघ ने पूंची और मशीने दी
c) 1971 में भारत और रूस के बीच एक बीस वर्षीय संधि की इसके अलावा भारत ने सोवियत संध के अफगानिस्तान हस्तक्षेप का विरोध भी किया गया
d) 1988 में गोर्बाचेव को इंदिरा गाँधी शांति पुरस्कार प्रदान किया गया

7. गुटनिरपेक्षता की नीति न तो तटस्थता की नीति है और न ही पृथकतावद की स्पष्ट कीजिये ?
ans.
ans. पृथकतावाद :- गुटनिरपेक्षता का अर्थ पृथकतावाद नही है क्योकि पृथकतावाद का अर्थ होता है अपने को अन्तर्राष्ट्रीयमामलो से काटकर रखना 1787 में अमेरिका ने स्वतंत्रता की लड़ाई हुई थी इसके बाद प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत तक अमेरिका ने अपने आप को अन्तर्राष्ट्रीय मामलो से दूर रखा उसने पृथकतावाद की नीति अपनाई!
इसके विपरीत गुटनिरपेक्ष देशो ने जिसमे भारत भी शामिल है शांति उअर स्थिरता बनाये रखने के लिए प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच मध्यस्थता में सक्रिय भूमिका निभाई लेकिन यह गुटनिरपेक्षता के संकल्प में है
:- गुटनिरपेक्षता का अर्थ पृथकतावाद नही है क्योकि पृथकतावाद का अर्थ होता है अपने को अन्तर्राष्ट्रीयमामलो से काटकर रखना 1787 में अमेरिका ने स्वतंत्रता की लड़ाई हुई थी इसके बाद प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत तक अमेरिका ने अपने आप को अन्तर्राष्ट्रीय मामलो से दूर रखा उसने पृथकतावाद की नीति अपनाई!
इसके विपरीत गुटनिरपेक्ष देशो ने जिसमे भारत भी शामिल है शांति उअर स्थिरता बनाये रखने के लिए प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच मध्यस्थता में सक्रिय भूमिका निभाई लेकिन यह गुटनिरपेक्षता के संकल्प में है
तटस्थता :- गुटनिरपेक्षता का अर्थ तटस्थता का धर्म निभाना भी नहीं है तटस्थता का अर्थ होता है युद्ध में शामिल न होने की नीति का पालन करना तटस्थता की नीति का पालन करने वाले देश के लिए यह जरुरी नहीं की वह युद्ध को समाप्त करने में मदद करे जबकि गुटनिरपेक्ष देश जिसमें भारत भी शामिल है युद्ध में शामिल हुआ है इन देशो ने दुसरे देशो के बीच होने वाले युद्ध को टालने का कार्य भी किया है

अत: इसलिए कहा जाता है की गुटनिरपेक्षता की नीति न तो तटस्थता की नीति है और न ही पृथकतावाद की !

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