🎓 कक्षा 11 – भूगोल
📘 अध्याय 3: पृथ्वी का आंतरिक भाग
📚 पुस्तक: भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत
📅 सत्र: 2025–26
👨🏫प्रस्तुति: अमरेश कुमार
🎯 अमरेश अकादमी के साथ अवधारणाओं को सरल बनाना
🌍 पृथ्वी - अनोखा ग्रह
🪐 पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन मौजूद है 🌱।
यह सूर्य से तीसरा ग्रह है ☀️
और इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है 🌊
क्योंकि इसकी सतह का लगभग 71% भाग
पानी से ढका हुआ है .
🌎पृथ्वी की आंतरिक संरचना (पृथ्वी की आंतरिक संरचना)
पृथ्वी के अंदर क्या है यह समझने के लिए हम दो प्रकार के स्रोतों का अध्ययन करते हैं :
🔹 1. प्रत्यक्ष स्रोत (प्रत्यक्ष स्रोत):
ये वास्तविक चीजें हैं जिन्हें हम सीधे छू सकते हैं या अध्ययन कर सकते हैं , जैसे:
• खनन से सामग्री
• ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाला लावा और गैसें 🌋
➡️ ये पृथ्वी के आंतरिक भाग के बारे में वास्तविक साक्ष्य देते हैं।
🔸 2. अप्रत्यक्ष स्रोत ( अप्रत्यक्ष स्रोत):
ये वे अवलोकन और प्रभाव हैं जो हमें पृथ्वी की आंतरिक परतों के बारे में सुराग देते हैं:
🌡️ तापमान, दबाव और घनत्व में भिन्नता ( तापमान, दबाव और घनत्व में अंतर)
☄️ उल्कापिंड ( उल्कापिंड) - ये अंतरिक्ष से आते हैं और पृथ्वी के गहरे आंतरिक भाग से मिलते जुलते हैं।
🧲 गुरुत्वाकर्षण ( गुरुत्वाकर्षण) - पृथ्वी के आकार और सामग्री को मापने में मदद करता है।
🌍 भूकंप से संबंधित गतिविधियाँ ( भूकंप से जुड़ी घटनाएँ)
🌐 भूकंपीय लहरें ( भूकंपीय तरंगें):
भूकंपीय तरंगें भूकंप के दौरान उत्पन्न होने वाली तरंगें होती हैं और पृथ्वी के आंतरिक भाग को समझने में हमारी मदद करती हैं। इनके दो मुख्य प्रकार हैं:
• प्राथमिक तरंगें (P-तरंगें) ➡️ सबसे तेज़ गति से यात्रा करें
• द्वितीयक तरंगें (S-तरंगें) ➡️ धीमी, तरल से होकर नहीं गुजर सकतीं
🧠 ये तरंगें वैज्ञानिकों को पृथ्वी की तीन मुख्य परतों का मानचित्र बनाने में मदद करती हैं :
1.क्रस्ट ( भूपर्पटी)
2.मेंटल
3.कोर ( कोर)
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🌋 ज्वालामुखी और भू-आकृतियाँ
यह अध्याय हमें यह समझने में भी मदद करता है कि ज्वालामुखी किस प्रकार पृथ्वी के अंदर से पिघले हुए पदार्थ को बाहर लाकर पहाड़ों और द्वीपों जैसी भू-आकृतियों का निर्माण करते हैं।
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🌍पृथ्वी की आंतरिक संरचना की परतें (पृथ्वी की आंतरिक संरचना की परतें)
पृथ्वी का आंतरिक भाग तीन मुख्य परतों में विभाजित है :
🟤 1. भूपर्पटी ( भूपर्पटी)
पृथ्वी की सबसे बाहरी परत 🌐
गहराई: ~30 किमी
घनत्व : ~3 ग्राम/सेमी³ ( घनत्व)
ठोस चट्टानों से बना 🪨
🟠 2. मेंटल (Metal)
भूपर्पटी के नीचे पाया जाता है
2900 किमी गहराई तक फैला हुआ
ऊपरी मेंटल + क्रस्ट = लिथोस्फीयर 🌎
निचला मेंटल ठोस अवस्था में है
घनत्व: ~3.4 ग्राम/सेमी³
🔴 3. कोर ( कोर)
• मेंटल के नीचे स्थित
•में बांटें:
• बाहरी कोर - तरल ( द्रव स्तर)
• आंतरिक कोर - ठोस ( ठोस अवस्था)
• घनत्व : ~13 ग्राम/सेमी³
• निकेल और लोहे से बना ( निकेल और लोहा)
🪨पृथ्वी की भूपर्पटी के भाग (पृथ्वी की भूपर्पटी के भाग)
पृथ्वी की पर्पटी सबसे बाहरी परत है और लगभग 1500 फीट तक फैली हुई है।
सतह से 30 किमी नीचे।
इसे दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है :
🟤 a) महाद्वीपीय क्रस्ट या सियाल
( महाद्वीपीय भूपर्पटी / सियाल)
मोटाई: ~20 किमी
सिलिकेट ( सिलिकेट) और एल्यूमीनियम से बना
सियाल कहा जाता है → Si = सिलिका, Al = एल्युमीनियम
वजन में हल्का (घनत्व कम है)
महाद्वीपों के नीचे पाया जाता है 🌍
📌 तो, सियाल = हल्की महाद्वीपीय परत | सिमा = भारी महासागरीय परत
🌍 भूकंप - एक प्राकृतिक आपदा (भूकंप - एक प्राकृतिक आपदा)
⚡ भूकंप पृथ्वी के अंदर ऊर्जा के अचानक मुक्त होने के कारण जमीन का हिलना है ।
यह एक प्राकृतिक आपदा है जो बिना किसी चेतावनी के घटित होती है।
💥 भूकंप के प्रमुख प्रभाव
( भूकंप से होने वाला प्रभाव)
🌍 ज़मीन का हिलना ( ज़मीन का हिलना)
🌀 ग्राउंड मोशन ( मिस्टर का कूल)
🏔️ भूस्खलन / कीचड़ धंसना ( रेशम / कीचड़ धंसकना )
💧 मृदा द्रवीकरण ( मिट्टी का तरल बनना)
🛤️ सतही विस्थापन ( सतह का खिसकना)
❄️ हिमस्खलन ( हिमस्खलन)
🌊 बांध टूटने से बाढ़ आना ( बांध टूटने से बाढ़ आना)
🔥 फायर इग्निशन ( आग लगाना)
🏚️ बिल्डिंग ढहना ( Building Collapse)
🌊 सुनामी लहरें ( सुनामी तरंगें उठना)
🪨गिरने वाली वस्तुएँ ( गिरना)
📉 ग्राउंड टिल्टिंग ( जमीन का एक तरफ झुकना)
🌍भूकंप के दौरान पृथ्वी क्यों कंपन करती है? (पृथ्वी में कूल क्यों होता है?)
पृथ्वी के अंदर गहराई में भ्रंश रेखाएं हैं - जहां दोनों ओर चट्टानें विपरीत दिशाओं में जाने का प्रयास करती हैं ।
🔗 ये चट्टानें घर्षण द्वारा एक साथ टिकी रहती हैं , जो उनकी गति का प्रतिरोध करती है।
⚡ लेकिन समय के साथ, गति के कारण दबाव बढ़ता है ।
जब यह दबाव घर्षण से अधिक मजबूत हो जाता है , तो चट्टानें:
👉 अचानक ब्रेक
👉 एक दूसरे के विपरीत दिशाओं में फिसलें
💥आगे क्या होगा?
💨 भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है
🌊यह ऊर्जा भूकंपीय तरंगों (भूकंपीय तरंगें) के रूप में यात्रा करती है
📉 इन तरंगों के कारण पृथ्वी में कंपन होता है - जिसे हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं
📌 संक्षेप में: चट्टान का दबाव → घर्षण विफल → अचानक फिसलन → ऊर्जा मुक्ति → पृथ्वी हिलती है 🌍⚡
भूकंप के मुख्य प्रकार (भाग 1) ( भूकंप के मुख्य प्रकार)
📌 उत्पत्ति के आधार पर भूकंपों को पांच प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है :
🌍 1. टेक्टोनिक भूकंप
भूकंप का सबसे आम प्रकार
भ्रंश रेखाओं के साथ चट्टानों की गति के कारण
तब होता है जब महाद्वीपीय या महासागरीय प्लेटें ( महाद्वीपीय या महासागरीय प्लेटें)
👉 एक दूसरे से टकराना
👉 या एक दूसरे से दूर चले जाएं
उदाहरण: हिमालयी क्षेत्र में भूकंप
🌋 2. ज्वालामुखी भूकंप
एक विशेष प्रकार का विवर्तनिक भूकंप
सक्रिय ज्वालामुखीय क्षेत्रों में होता है ( सक्रिय मूर्तिकला क्षेत्र)
मैग्मा गति और ज्वालामुखी विस्फोट के कारण
ये भूकंप ज्यादातर प्राकृतिक होते हैं और पृथ्वी के अंदर गहरी हलचलों के परिणामस्वरूप आते हैं ।
💥 भूकंप के मुख्य प्रकार (भाग 2) ( भूकंप के मुख्य प्रकार)
🕳️ 3. पतन भूकंप
• खनन क्षेत्रों में होता है ( खनन क्षेत्र)
• भूमिगत खदान की छतों के ढहने के कारण
•सतह पर हल्के झटके महसूस किए गए
• पतन वाले भूकंप भी कहा जाता है ( घटना वाले भूकंप)
•
💣 4. विस्फोट भूकंप
मानव निर्मित विस्फोटों के कारण जैसे:
परमाणु विस्फोट (परमाणु विस्फोट)
रासायनिक विस्फोट
उत्पन्न शॉकवेव के कारण धरती हिलती है
विस्फोट से
🚧 5. जलाशय प्रेरित भूकंप
बड़े बांधों वाले क्षेत्रों में होता है (बांधों वाले क्षेत्र)
जलाशय का जल दबाव और भार भूकंप को ट्रिगर कर सकता है, इसे बांध प्रेरित भूकंप भी कहा जाता है
•📌 तो, सभी भूकंप प्राकृतिक नहीं होते – कुछ मानव-जनित भी होते हैं! 🧨🌍
🌍 भूकंपीय तरंगों के प्रकार - भाग 1 ( भूकंपीय तरंगों के प्रकार)
भूकंपीय तरंगों को दो मुख्य प्रकारों में विभाजित किया जाता है :
1️⃣ भूगर्भिक लहरें ( भूगर्भिक तरंगें)
2️⃣ सतही लहरें ( सतह तरंगें)
🌀 1. भूगर्भिक तरंगें
ये तरंगें भूकंप केंद्र से उत्पन्न होती हैं और पृथ्वी के अंदर सभी दिशाओं में यात्रा करती हैं ।
बाद में जब वे सतह की चट्टानों के साथ क्रिया करते हैं तो वे सतही तरंगों में परिवर्तित हो जाते हैं ।
🔹 A. पी-तरंगें (प्राथमिक तरंगें)
जैसे किसी स्प्रिंग को खींचा और छोड़ा जा रहा हो
ठोस, द्रव और गैसों के माध्यम से यात्रा करें
सबसे तेज़ लहरें , पहले पहुँचें
तरंग की दिशा में ही कंपन उत्पन्न करें
गति
🔸 B. एस-तरंगें (द्वितीयक तरंगें)
रस्सी के हिलने की तरह
केवल ठोस पदार्थों के माध्यम से यात्रा करें
पी-तरंगों के बाद पहुंचें
यात्रा की दिशा के समकोण पर कंपन उत्पन्न करना
🎯 P-तरंगें = दाब | S-तरंगें = कंपन | दोनों = भूगर्भिक तरंगें
भूकंपीय तरंगों के प्रकार - भाग 2 ( भूकंपीय तरंगों के प्रकार)
🌊 2. सतही तरंगें (Surface Waves)
ग्राउंड वेव्स ( ग्राउंड तरंगें) भी कहा जाता है
🌀 भूगर्भिक तरंगों के सतही चट्टानों से संपर्क से निर्मित
🧱 पृथ्वी की सतह पर यात्रा करें
⬇️ गहराई के साथ तीव्रता कम होना ( गहराई में प्रभाव कम होता है)
⚠️ सतही तरंगों की प्रमुख विशेषताएँ
सबसे धीमी गति से पहुंचने वाला
सर्वाधिक विनाशकारी - इमारतों, बांधों, सड़कों आदि को भारी नुकसान पहुंचाते हैं।
विभिन्न घनत्वों के पदार्थों से गुजरते समय वेग में परिवर्तन होता है ।
इस प्रकार के प्रभाव उत्पन्न होते हैं:
🏚️ इमारत ढहना
🌊 बांध टूट गया
📉 ज़मीन धंसना
📌 ये तरंगें सीस्मोग्राफ पर सबसे आखिर में दर्ज होती हैं लेकिन सतह पर सबसे अधिक विनाश का कारण बनती हैं।
📊 प्राथमिक तरंगों (P-तरंगों) और द्वितीयक तरंगों (S-तरंगों) के बीच अंतर
📌 P-तरंगें = तेज़ + सभी मध्यम | S-तरंगें = धीमी + केवल ठोस
🌍 भूकंपीय छाया क्षेत्र ( भूकंपीय छाया क्षेत्र)
📉 भूकंपीय तरंगें पृथ्वी से होकर गुजरती हैं और सीस्मोग्राफ ( भूकंप रिकॉर्डर) पर दर्ज की जाती हैं।
लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां कोई भूकंपीय तरंगें दर्ज नहीं की जाती हैं - इन्हें भूकंपीय छाया क्षेत्र कहा जाता है ।
🔎 मुख्य अवलोकन:
'पी' और 'एस' तरंगें उपरिकेंद्र (भूकंप केंद्र) से 105° तक स्पष्ट रूप से दर्ज की जाती हैं।
105° से 145° तक , कोई तरंग दर्ज नहीं की जाती है - यह P और S दोनों तरंगों के लिए छाया क्षेत्र है।
145° के बाद केवल P-तरंगें ही रिकॉर्ड की जाती हैं।
एस-तरंगें 105° से आगे पूरी तरह से गायब हो जाती हैं , इसलिए उनका छाया क्षेत्र बड़ा होता है ।
📌 ऐसा क्यों होता है?
पृथ्वी के तरल बाहरी कोर के कारण ,
• P-तरंगें मुड़ती हैं (अपवर्तित होती हैं) लेकिन फिर भी गुजर जाती हैं
• एस-तरंगें अवरुद्ध हो जाती हैं (क्योंकि वे तरल के माध्यम से यात्रा नहीं कर सकतीं)
📊 तुलना तालिका: पी-वेव्स बनाम एस-वेव्स शैडो ज़ोन
📊 बाथोलिथ और लैकोलिथ के बीच अंतर
ज्वालामुखी क्या है? ( कलाकार क्या होता है?)
ज्वालामुखी एक आकस्मिक प्राकृतिक घटना ( प्राकृतिक घटना) है जिसमें:
⚡ पृथ्वी के भीतर से लावा , गैस , राख , धुआँ , कंकड़ और चट्टानें फूटकर बाहर निकलती हैं।
ये सभी सामग्रियां एक प्राकृतिक ट्यूब के माध्यम से बाहर निकलती हैं जिसे वेंट या ड्रेन चैनल ( निकासी नली) कहा जाता है ।
🕳️ जिस छिद्र से होकर लावा निकलता है उसे गड्ढा ( क्रेटर ) कहते हैं।
📌 ज्वालामुखी = आंतरिक दबाव के कारण पृथ्वी की पपड़ी से लावा का विस्फोट
ज्वालामुखी के प्रकार (ज्वालामुखी के प्रकार)
ज्वालामुखियों को तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है :
🔥 1. सक्रिय ज्वालामुखी ( सक्रिय ज्वालामुखी)
बार-बार फटता है
मुंह हमेशा खुला
उदाहरण: माउंट एटना , इटली
🌡️ 2. सुप्त ज्वालामुखी ( सुप्त ज्वालामुखी)
लंबे समय से इसका विस्फोट नहीं हुआ है , लेकिन यह कभी भी सक्रिय हो सकता है
अचानक विस्फोट से भारी क्षति हो सकती है
उदाहरण: माउंट वेसुवियस , इटली
❄️ 3. विलुप्त ज्वालामुखी ( विलुप्त ज्वालामुखी)
लंबे समय तक कोई गतिविधि नहीं
भविष्य में विस्फोट की कोई संभावना नहीं
उदाहरण: माउंट पोपा , म्यांमार
📌 सक्रिय = प्रस्फुटित | प्रसुप्त = सोया हुआ | विलुप्त = मृत 🌋🛌💀
🌋 ज्वालामुखीय भू - आकृतियाँ: काल्डेरा और सिंडर कोन
🔴 1. काल्डेरा ( Caldera )
• बहुत विस्फोटक ज्वालामुखी विस्फोटों के दौरान निर्मित 💥
•ऊँचा पहाड़ बनाने के बजाय, ज्वालामुखी का ऊपरी हिस्सा फट जाता है
•यह एक बड़ा, कटोरे के आकार का गड्ढा बनाता है ( गहराई जैसा)
•इस क्रेटर को काल्डेरा कहा जाता है
📌 काल्डेरा = विस्फोट के बाद बना विशाल गड्ढा
🟤 2. सिंडर कोन (सिंडर कोन) (आमतौर पर "सिंड्रेला" समझ लिया जाता है)
कम विस्फोटक विस्फोटों के दौरान निर्मित
वेंट से लावा फव्वारे की तरह बहता है
लावा ठंडा हो जाता है और द्वार के पास जमा हो जाता है
यह राख और छोटी चट्टानों से बनी एक शंकु के आकार की पहाड़ी बनाता है - जिसे सिंडर कोन कहा जाता है
📌 सिंडर कोन = हल्के विस्फोट से बने लावा के टुकड़ों का शंकु
🎯 संक्षेप में: विस्फोट = काल्डेरा 💥 | फव्वारा लावा = सिंडर कोन ⛰️
🌋 अन्तर्वेधी ज्वालामुखीय भू-आकृतियाँ ( अन्तःस्थ ज्वालामुखीय संरचनाएँ)
ये भू-आकृतियाँ तब बनती हैं जब लावा पृथ्वी के अंदर ठंडा होकर जम जाता है
आइये प्रमुख प्रकारों पर नजर डालें:
🧱 1. सिल और शीट (सिल और शीट)
जब लावा पृथ्वी की परतों के अंदर क्षैतिज रूप से फैलता और ठंडा होता है:
यदि परत मोटी है तो उसे सिल (Sill) कहा जाता है
यदि परत पतली है ➡️ तो उसे शीट कहते हैं
📌 दोनों चट्टान परतों के समानांतर बने हैं
🧩 2. Dyke ( डाइक)
लावा एक ऊर्ध्वाधर दरार ( रासायनिक दरार) में प्रवेश करता है और ठंडा हो जाता है
यह चट्टान की परतों को समकोण पर काटता है ( समकोण पर)
इससे एक दीवार जैसी संरचना बनती है जिसे डाइक कहा जाता है
📌 डाइक चट्टान परतों के लंबवत ( लंबवत) होते हैं
🧠 सिल/शीट = क्षैतिज परतें | डाइक = ठंडे लावा की ऊर्ध्वाधर दीवार